
गुर्जर प्रतिहार वंश के शासक :
प्रतिहार वंश के शासक का नाम | शासन काल |
नागभट्ट प्रथम | 730-760 ई० |
देवराज | 760-780 ई० |
वत्सराज | 780-800 ई० |
नागभट्ट द्वितीय | 800-833 ई० |
रामभद्र | 833-836 ई० |
मिहिरभोज या भोज प्रथम | 836-885 ई० |
महेन्द्रपाल प्रथम | 885-910 ई० |
भोज द्वितीय | 910-913 ई० |
महिपाल प्रथम | 913-944 ई० |
महेन्द्रपाल द्वितीय | 944-948 ई० |
देवपाल | 948-954 ई० |
विनायकपाल | 954-955 ई० |
महिपाल द्वितीय | 955-956 ई० |
विजयपाल द्वितीय | 956-960 ई० |
राजपाल | 960-1018 ई० |
त्रिलोचनपाल | 1018-1027 ई० |
यशपाल | 1024-1036 ई० |
गुर्जर प्रतिहार वंश का नक्शा : Gurjar Pratihar Dynasty Map

गुर्जर प्रतिहार वंश का इतिहास : Gurjar Pratihar Vansh History in Hindi
नागभट्ट प्रथम (Nagabhatta I)
- मालवा का शासक नागभट्ट प्रथम ने 725 ई० में गुर्जर प्रतिहार वंश की स्थापना की।
- आठवीं शताब्दी में भारत पर अरबों का आक्रमण शुरू हो चुका था।
- सिंध और मुल्तान पर अरबों का अधिकार हो चुका था। फिर सिंध के राज्यपाल जुनैद के नेतृत्व में सेना आगे मालवा, जुर्ज और अवंति पर हमले के लिए आगे बढ़ी, जहां पर जुर्ज पर उसका कब्जा हो गया।
- परंतु आगे अवन्ति पर नागभट्ट ने उन्हें खदेड़ दिया।
- नागभट्ट ने मालवा में अवन्ति (उज्जैन) में अपनी राजधानी की स्थापना की।
वत्सराज (Vatsaraja)
- कन्नौज के त्रिकोणीय संघर्ष में पश्चिम और उत्तर क्षेत्र से गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य, पूर्व से बंगाल के पाल साम्राज्य और दक्षिण में दक्कन में आधारभूत राष्ट्रकूट साम्राज्य शामिल थे।
- गुर्जर प्रतिहार शासक (gurjar pratihar emperor) वत्सराज ने कन्नौज के नियंत्रण के लिए पाल शासक धर्मपाल और राष्ट्रकूट राजा दन्तिदुर्ग को सफलतापूर्वक चुनैती दी और उसको पराजित कर दिया।
- राष्ट्रकूट शासक ध्रुव धारावर्ष ने लगभग 800 ई० में वत्सराज को पराजित किया और उसे मरुदेश (राजस्थान) में शरण लेने को मजबूर कर दिया।
- ध्रुव के प्रत्यावर्तन के साथ ही पाल नरेश धर्मपाल ने कन्नौज (kannauj) पर कब्जा करके वहां पर अपने अधीन चक्रायुद्ध को राजा बना दिया।
नागभट्ट द्वितीय (Nagabhatta II)
- वत्सराज के बाद उसका पुत्र नागभट्ट द्वितीय राजा बना।
- शुरू में नागभट्ट द्वितीय को राष्ट्रकूट सम्राट गोविंद तृतीय ने हराया।
- बाद में नागभट्ट द्वितीय ने अपनी शक्ति को पुनः बढ़ा कर राष्ट्रकूटों से मालवा छीन लिया।
- नागभट्ट ने चक्रायुध को हरा कर कन्नौज पर विजय प्राप्त कर ली।
- नागभट्ट द्वितीय ने बंगाल के शासक धर्मपाल को हराकर मुंगेर पर कब्जा कर लिया।
- नागभट्ट II ने प्रतिहार साम्राज्य को गंगा के मैदान में आगे पाटलिपुत्र (बिहार) तक फैला दिया।
- नागभट्ट II ने गुजरात में सोमनाथ के महान शिव मंदिर को पुनः बनवाया, जिसे सिंध से आये अरब हमलावरों ने नष्ट कर दिया था।
रामभद्र (Ramabhadra)
- 833 ई० में नागभट्ट II के जल समाधि लेने के बाद उसका पुत्र रामभद्र या राम गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य (gurjar pratihar empire) का अगला राजा बना।
मिहिरभोज (Mihirabhoja)
- रामभद्र के बाद उसका पुत्र मिहिरभोज या भोज प्रथम गुर्जर प्रतिहार वंश का शासक बना।
- प्रतिहार वंश (pratihar vansh) का सर्वाधिक शक्तिशाली एवं प्रतापी राजा मिहिरभोज था।
- मिहिरभोज ने अपनी राजधानी कन्नौज में बनाई थी।
- मिहिरभोज विष्णुभक्त था, उसने विष्णु के सम्मान में आदि वाराह की उपाधि ग्रहण की।
- मिहिरभोज का शासनकाल प्रतिहार साम्राज्य के लिए स्वर्णकाल माना गया है।
- मिहिरभोज के सिक्के पर वाराह भगवान थे जिन्हें भगवान विष्णु के अवतार के तौर पर जाना जाता है।
- मिहिरभोज के शासनकाल मे कन्नौज के राज्य का अधिक विस्तार हुआ।
- अरब यात्री सुलेमान ने मिहिरभोज के समय भारत की यात्रा की थी।
- पाल वंश के शासक देवपाल एवं मिहिरभोज के बीच घमासान युद्ध हुआ जिसमें मिहिरभोज की विजय हुई।
महेंद्रपाल प्रथम (Mahendrapala I)
- मिहिरभोज के बाद उसका पुत्र महेंद्र पाल राजा बना।
- महेन्द्रपाल ने राजशेखर को अपने दरबार का कवि नियुक्त किया था।
- महेन्द्रपाल के गुरु राजशेखर थे।
- राजशेखर ने कर्पूरमंजरी, काव्यमीमांसा, विद्धसालभंज्जिका, बालभारत, बालरामायण, हरविलास और भुवनकोश की रचना की।
महिपाल प्रथम (Mahipala I)
- जब तक महिपाल ने शासन संभाला तब तक राष्ट्रकूट शासक इन्द्र तृतीय ने प्रतिहारों को हराकर कन्नौज को नष्ट कर दिया।
- महिपाल के समय में अरब यात्री ‘अलमसूदी’ ने भारत की यात्रा की।
यशपाल (Yashpala)
- यशपाल गुर्जर प्रतिहार वंश का अंतिम राजा था।
गुर्जर प्रतिहारो के शासनकाल मे ही भारत पहली और आखरी बार सोने की चिड़िया कहलाया था। दिल्ली नगर की स्थापना तोमर नरेश अनंगपाल ने ग्यारहवीं सदी के मध्य की।
Gurjar Pratihar Vansh GK Question Answer in Hindi
- पूर्व मध्यकालीन भारतीय इतिहास में 750 ई० से 1200 ई० तक का समय मुख्यतः माना जाता है – राजपूत काल
- भारत पर पहली बार आक्रमण करने वाला कौन था – अरब
- सोमनाथ के मंदिर पर 1025 ई० में महमूद गजनवी के आक्रमण के समय गुजरात का शासक कौन था – भीमदेव प्रथम
- वह राजवंश जो कन्नौज पर आधिपत्य स्थापित करने में त्रिकोणीय संघर्ष में उलझे हुए थे, वे कौन थे – पाल, प्रतिहार एवं राष्ट्रकूट
- किस पर स्वामित्व के लिए पाल, प्रतिहार व राष्ट्रकूट के बीच त्रिपक्षीय संघर्ष हुआ – कन्नौज
- त्रिपक्षीय संघर्ष की पहल किसने की – वत्सराज
- त्रिपक्षीय संघर्ष का आरंभ किस सदी में हुआ – 8वीं सदी में
- त्रिपक्षीय संघर्ष का आरंभ और अंत किस राजवंश ने किया – प्रतिहार
- किस प्रतिहार शासक ने ‘आदिवराह’ की उपाधि धारण की – मिहिरभोज
- किस विदेशी यात्री ने गुर्जर-प्रतिहार वंश को ‘अल-गुजर’ एवं इस वंश के शासकों को ‘बौरा’ कहकर पुकारा – अलमसूदी
- ‘कर्पूरमंजरी’ नाटक के रचियता राजशेखर को किस प्रतिहार शासक ने संरक्षण दिया – महेन्द्रपाल प्रथम
- प्रतिहार स्वंय को किसका वंशज मानते थे जो राम के प्रतिहार (अर्थात द्वारपाल) थे – लक्ष्मण
- गुर्जर प्रतिहार के उज्जयिनी शाखा का संस्थापक कौन था – नागभट्ट प्रथम
- नागभट्ट द्वितीय को किस राष्ट्रकूट सम्राट ने पराजित किया – गोविंद तृतीय
- प्रतिहार वंश का सबसे शक्तिशाली एवं प्रतापी राजा कौन था – मिहिरभोज
- मिहिरभोज ने अपनी राजधानी किसको बनाई – कन्नौज
- मिहिरभोज के पिता कौन थे – रामभद्र
- दिल्ली नगर की स्थापना किसने की – तोमर नरेश अनंगपाल
- नागभट्ट द्वितीय ने बंगाल के किस पाल शासक को हराकर मुंगेर पर अपना अधिकार कर लिया – धर्मपाल
- गुजरात में सोमनाथ के महान शिव मंदिर को पुनः किस प्रतिहार शासक ने बनवाया – नागभट्ट द्वितीय
- गुर्जर प्रतिहार वंश का अंतिम राजा कौन था – यशपाल